शिक्षा में शैक्षिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक, मशीन, विज्ञान व संस्कृति का अनुभव, कौशल व ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। 21वीं सदी में शिक्षित होने का अर्थ सिर्फ साक्षर होना नहीं है बल्कि वैश्विक कौशल व ज्ञान भी बहुत-बहुत जरूरी है। हरियाणा के शेक्सपीयर कहे जाने वाले पण्डित लख्मीचंद जैसे निरक्षर होते हुए भी वैश्विक अनुभव, प्रायोगिक सीख व सांस्कृतिक ज्ञान के साथ शिक्षित माने जाने वाले व्यक्तित्व थे। बच्चे पुस्तकों से सैद्धांतिक ज्ञान अर्जित करते हैं पंरतु प्रायोगिक, सामाजिक व वास्तविक ज्ञान के लिए ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व विज्ञान से जुड़ी बाहरी वस्तुओं और स्थानों से जुड़ना जरूरी है। विद्यालय की ओर से समय, स्थिति व अभिभावक के बजट को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष सभी कक्षाओं के सभी बच्चों के लिए नजदीकी संभव ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और अन्य प्रसिद्ध स्थान जो बच्चों के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित हैं, ऐसे स्थानों का शैक्षणिक भ्रमण करवाया जाता है। मार्च 2020 में कक्षा 11वीं व कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक राजघाट व राष्ट्रीय संग्रहालय व दिल्ली मेट्रो, के भ्रमण का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संग्रहालय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इसी सत्र में दिसंबर 2019 में कक्षा 9 व 10 के विद्यार्थियों के लिए ऐतिहासिक व हिंदुस्तान की राजधानी रहा आगरा शहर जो दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबा ताजमहल के लिए प्रसिद्ध है, का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किया गया। उपरोक्त सभी भ्रमण में बच्चे सार्वजनिक परिवाहन (हरियाणा रोड़वेज, दिल्ली मेट्रो, भारतीय रेल सेवा, स्थानीय बस सेवा व आॅटो) से गए व आए, यह अनुभव बहुत आवश्यक हैं क्योंकि वास्तविक जीवन में स्कूल के बाद काॅलेज व यूनिवर्सिटिज में लोकल ट्रांसपोर्ट का प्रयोग ही करना पड़ेगा इसलिए इसका प्रारंभिक अनुभव व ज्ञान अति आवश्यक है।